लेखक-निर्देशक त्रिविक्रम श्रीनिवास और महेश बाबू के नवीनतम सहयोग में, Guntur Kaaram movie एक भावनात्मक पारिवारिक मनोरंजन और एक सामूहिक मसाला फिल्म दोनों बनने का प्रयास करती है। हालाँकि, ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपने पैर जमाने के लिए संघर्ष करती हुयी दिखाई देती है, महेश बाबू के करिश्मे पर भरोसा करते हुए एक ऐसी कहानी पेश करती है जिसमें गहराई और नवीनता का अभाव देखने को मिलता है।
Plot Overview
Guntur Kaaram movie की कहानी एक पारिवारिक और व्यावसायिक झगड़े के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक घर के भीतर की कलह को उजागर करती है। बचपन की एक घटना, एक पारिवारिक गोदाम में आग लगने के कारण, युवा रमन्ना की एक आंख क्षतिग्रस्त हो जाती है। साथ ही राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं कथानक को और जटिल बनाती हैं, 80 वर्षीय पिता वेंकटस्वामी का लक्ष्य अपने चुने हुए पोते के राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करना है, जिससे परिवार के भीतर तनाव पैदा होता है।
Table of Contents
Dynamic Character
महेश बाबू ने अपनी पिछली फिल्म “सरकारु वारी पाटा” की गति को बरकरार रखते हुए सराहनीय प्रदर्शन किया है। हालाँकि, कहानी जगपति बाबू, सुनील, राव रमेश और राहुल रवींद्रन सहित कलाकारों के लिए दिलचस्प चरित्र प्रदान करने में विफल रहती है। राम्या कृष्णा का किरदार, वसुन्धरा, फिल्म के अधिकांश भाग में मौन और गूढ़ रहता है, उसके और महेश के बीच के कुछ दृश्य अंत में कुछ गहराई जोड़ते हैं।
Guntur Kaaram (Telugu)
Director: Trivikram Srinivas
Cast: Mahesh Babu, Sreeleela, Ramya Krishna, Meenakshi Chaudhary
Story Line: एक बेटे से यह कहते हुए कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जाता है कि उसका अपनी मां, उसकी संपत्ति या राजनीतिक शक्ति से कोई लेना-देना नहीं होगा। लेकिन वह न भरे घावों का जवाब चाहता है।
Underutilized Cast
Guntur Kaaram movie में प्रतिभाशाली अभिनेताओं के बावजूद, कई लोगों के पास भूलने योग्य भूमिकाएँ रह जाती हैं और वे महत्वपूर्ण प्रभाव डालने में असफल हो जाते हैं। जयराम द्वारा चित्रित सत्यम का चरित्र और अन्य लोग अराजक कथा में खो गए हैं, जिससे दर्शक महत्वपूर्ण कहानियों की उपेक्षा पर सवाल उठा रहे हैं।
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Leading Women’s Roles
श्रीलीला और मीनाक्षी चौधरी, दो प्रमुख महिलाएं, सजावटी और महत्वहीन भूमिकाओं में सिमट कर रेह गई हैं।फिल्म में श्रीलीला का चरित्र कभी-कभार नृत्य दृश्यों से परे बहुत कम सामग्री जोड़ता है, जबकि मीनाक्षी का चरित्र कथानक में सार्थक योगदान दिए बिना घर की सेवा करता है।
—–Guntur Kaaram movie
Conflict Between Mahesh Babu and Prakash Raj
महेश बाबू और प्रकाश राज के बीच टकराव, तेलुगु सिनेमा में एक आवर्ती विषय है, जिसमें उनके पिछले सहयोगों में देखे गए मनोरंजन मूल्य का अभाव साफ साफ देखा जा सकता है। प्रकाश राज का एक-नोट चरित्र पूर्वानुमानित है, और कथा उम्र-अनुचित पंक्तियों से खराब हो गई है जो 80 वर्षीय चरित्र पर निशाना साधती हैं।
Visuals and Action Sequences
फिल्म में लगातार भूरे रंग के दृश्य और एक्शन दृश्यों में नवीनता की कमी फिल्म की निरस्त को दर्शाती है। सिनेमैटोग्राफी और एक्शन कोरियोग्राफी के मामले में भी फिल्म कुछ खास कमाल करती हुयी दिखाई नहीं पड़ती है।
——Guntur Kaaram movie
Conclusion
जबकि “Guntur Kaaram” movie त्रिविक्रम के पिछले काम “अग्न्याथवासी” से बेहतर है, लेकिन यह जश्न का कारण नहीं बन पाता है। फिल्म भावनात्मक गहराई और सामूहिक अपील को संतुलित करने के लिए संघर्ष करती है, जिसके परिणामस्वरूप एक ऐसी कहानी सामने आती है जो बासी और प्रेरणाहीन लगती है।