Eagle movie review रवि तेजा की शानदार एक्शन फिल्म उड़ान भरेगा ईगल या हो जाएगा चित्त?

रोचक कथानक

 रॉ की हिट लिस्ट में शामिल एक पेशेवर स्नाइपर, जिसे "ईगल" का खिताब दिया गया है, एक खोजी पत्रकार को उसकी तलाश पर भेजता है।

विभिन्न दृष्टिकोण

नलिनी(पत्रकार) ईगल के बारे में अलग-अलग लोगों से जानकारी जुटाती है, लेकिन उनका चित्र तो बनता है, मगर उसमें गहराई नहीं आ पाती।

गैर-रेखीय कथा

समय में बार-बार बदलाव और बड़े कलाकारों का समूह कहानी को कमजोर बनाते हैं, क्यूंकि इन पात्रों का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है।

रवि तेजा का बदलाव

एक उदास अधेड़ उम्र के व्यक्ति सहदेव वर्मा की भूमिका निभाते हैं, जिसका अतीत रहस्यमय है और वह धीरे-धीरे एक बड़े युद्ध के लिए तैयार होता है।

प्रेम कहानी का ट्विस्ट

स्नाइपर-दृष्टि से दिखाए गए प्रेम कहानी से फिल्म का अवैध हथियारों के व्यापार पर संदेश और मजबूत होता है, साथ ही इसमें भावनात्मक जुड़ाव भी बनता है।

एक्शन का दमदार प्रदर्शन

बाद के हिस्से में कुछ दिलचस्प एक्शन सीक्वेंस देखने को मिलते हैं, जिसमें ईगल के किले के आसपास की लड़ाई भी शामिल है।

हीरो के अत्यधिक प्रशंसा

अत्यधिक प्रसंसा कहानी को कमजोर बनाते हुए बहुत ज़्यादा प्रशंसा करने वाले संवाद और पहेलीनुमा कहानी कहने का अंदाज ईगल के सफर का प्रभाव कम कर देता है।

प्रोडक्शन वैल्यू शानदार

प्रभावशाली सेट डिजाइन, सिनेमैटोग्राफी और संगीत एक्शन अनुभव को बेहतर बनाते हैं।

कहानी का रुख बदलना

मुख्यधारा को आकर्षित करने के प्रयास में, ईगल सामाजिक मुद्दों और मनोरंजन के बीच संतुलन बिठाने में नाकाम रेहती है, क्योंकि इसकी पटकथा कमजोर है।

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